दलाल स्ट्रीट में हो रही एक बड़ी गड़बड़ी पर बाजार नियामक सेबी की नींद टूट गई है। सेबी ने कहा है कि प्राथमिक सार्वजनिक पेशकश [आईपीओ] की प्रक्रिया शुरू होने और शेयरों के सूचीबद्ध होने की समयसीमा को घटाने पर विचार जाएगा।
सेबी बोर्ड की बुधवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। बोर्ड के सदस्यों को वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी संबोधित किया। उन्होंने सेबी से आग्रह किया कि छोटे व मझोले शहरों में निवेशक सुरक्षा को लेकर अपनी मुहिम और तेज करे। वित्त मंत्री ने सेबी को लोगों को लंबी अवधि के लिए निवेश करने के प्रति जागरूक बनाने के लिए कहा है।
बैठक के बाद सेबी के अध्यक्ष सीबी भावे ने पत्रकारों को बताया कि आईपीओ की अवधि से संबंधित हर मुद्दे की समीक्षा की जानी चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या मूल्य निर्धारण के मुद्दे पर भी सेबी विचार करेगी तो उन्होंने कहा कि ऐसा प्रस्ताव नहीं है। माना जा रहा है कि सेबी ने हाल ही में एक बहुत बड़ी कंपनी के आईपीओ में काफी विवाद होने के बाद यह फैसला उठाया है।
मौजूदा नियमों के मुताबिक आईपीओ के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाने के दिन से 21 दिनों के भीतर शेयर बाजार में उसे सूचीबद्ध कराया जाना चाहिए। हाल ही में एक कंपनी ने 450 रुपये प्रति शेयर के भाव से आईपीओ लाने का ऐलान किया । बाजार विशेषज्ञों ने इसकी वास्तविक कीमत 1200 रुपये बताई। निवेशक इसे खरीदने के लिए टूट पड़े। पहले दिन ही इस कंपनी के शेयर 40 गुना ज्यादा ओवरसब्सक्राइब्ड हो गए। शेयर बाजारों में यह एक पखवाड़े बाद सूचीबद्ध हुए, तब तक बाजार काफी गिर चुका था। इसके चलते कंपनी के शेयरों के भाव अभी तक निर्गम मूल्य को नहीं छू पाए हैं।
जाहिर है कि निवेशकों के अरबों रुपये डूब चुके हैं। कंपनी के आईपीओ की कीमत निर्धारित करने वाली एजेंसियों ने यह कहते हुए हाथ झाड़ लिया कि उन्होंने उस समय के बाजार को देख कर कीमत तय की थी। इसके पहले भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं। अब जाकर सेबी को यह लग रहा है कि अगर आईपीओ लाने और शेयरों के सूचीबद्ध होने के बीच समय घटा दिया जाए तो निवेशकों को ज्यादा चकमा नहीं दिया जा सकेगा।
सेबी ने कई कंपनियों के आईपीओ में हुए घोटाले में नेशनल सिक्योरिटीज डिपाजिटरीज लिमिटेड [एनएसडीएल] की संदिग्ध भूमिका की जांच-पड़ताल के लिए एक अलग समिति गठित करने का भी फैसला किया है। समिति की अध्यक्षता राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी,भोपाल के डा. मोहन गोपाल करेंगे। आरबीआई के उप गर्वनर वी. लीलाधर और कंपनी मामलों के मंत्रालय के सचिव अनुराग गोयल भी इसमें सदस्य होंगे। मजेदार तथ्य यह है कि सेबी ने जब एनएसडीएल में आईपीओ में गड़बड़ी का आरोप लगाया था तब सेबी के मौजूदा अध्यक्ष भावे एनएसडीएल के अध्यक्ष थे। उस समय भावे ने सेबी के इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया था। सेबी का आरोप है कि वर्ष 2006 में एनएसडीएल ने डीमैट खाता खोलते समय पर्याप्त सावधानी नहीं बरती थी।
News From: http://in.jagran.yahoo.com/news/business/general/1_12_4237600/
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12 years ago
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