Wednesday, February 4, 2009

What is a HUF : क्या है HUF

क्या आप उन लोगों में शुमार हैं, जिन्हें बेहतर एकाउंटिंग और कर बचाने के प्रावधानों के उद्देश्य के लिए अपनी पहचान को अलग कर देखने के तरीकों की तलाश रहती है? अगर ऐसा है तो आप उस वक्त से कुछ अंदाजा ले सकते हैं, जब लोग संयुक्त परिवारों में रहते थे और संयुक्त आमदनी बांटते थे। अगर आपने हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) खाता खोला है तो आय कर बचाने के लिए भी आप इसी अवधारणा से मदद ले सकते हैं।


वास्तव में एचयूएफ अधिनियम के प्रावधानों के तहत आने वाले इस खाते से आप अपने भाई या पिता की लग्जरी कार चलाने का लुत्फ भी ले सकते हैं और अपने कारोबार में डेप्रीसिएशन क्लेम कर कुछ कर भी बचा सकते हैं। आइए हम आपको देते हैं इससे जुड़ी टैक्स सेविंग की जानकारी...

 

फ्लैक्सी-ऑप्शन

वैसे इसकी परिधि में केवल हिंदू परिवार ही नहीं आते बल्कि जैन, बौद्ध और सिख भी एचयूएफ बना सकते हैं। इसमें कम से कम दो सदस्य शामिल होते हैं जिनमें से एक पुरुष होता है और यह एक ही पूर्वज से सीधे तौर पर जुड़े होने चाहिए। लेकिन आप छोटे विभाजित परिवार भी एक पुरुष सदस्य के साथ एचयूएफ बना सकते हैं। 


उच्चतम न्यायालय के मुताबिक, अंतिम पुरुष सदस्य के निधन के बाद ही एचयूएफ में केवल महिला सदस्य बच सकती है। एचयूएफ में परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य को कर्ता (मुखिया) के नाम से जाना जाता है। को-पार्सनर पुरुष होते हैं, जबकि महिलाएं सदस्य होती हैं। 


आम तौर पर कर्ता एचयूएफ की संपत्ति का प्रबंधन करता है। को-पार्सनर के पास विभाजन का अधिकार होता है, जो आम तौर पर एचयूएफ की संपत्तियां बांटने पर होता है। विभाजन की सूरत में सदस्यों को केवल रखरखाव मिलता है। एचयूएफ की संपत्ति में सदस्यों/कर्ता की ओर से दिए गए तोहफे या वसीयत में मिली जायदाद शामिल होती है।

 

टैक्स सेविंग में मददगार

आय कर अधिनियम के मुताबिक एचयूएफ एक अलग इकाई होती है और उसे व्यक्ति विशेष की तरह वही कर छूट मिलती है। केपीएमजी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर विकास वसल ने कहा, 'यह स्लैब रेट और 80सी के तहत मिलने वाली कर छूट के योग्य होती है।' 1.5 लाख रुपए तक की आमदनी एचयूएफ के लिए कर मुक्त होती है और यह कारोबारी जायदाद, पूंजीगत लाभ या दूसरे स्त्रोतों से आने वाली आय का पैसा हो सकता है लेकिन इसमें तनख्वाह शामिल नहीं होती। 


एचयूएफ बनाकर कर छूट दो बार क्लेम की जा सकती है। अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 3 लाख रुपए है और उसने कर बचाने के लिए कोई निवेश नहीं किया है तो उसे 15,000 रुपए बतौर कर चुकाना होगा। लेकिन अगर यह व्यक्ति एचयूएफ का सदस्य है और कर के दायरे में आने वाली आधी रकम एचयूएफ के हाथों में जा रही है जबकि आधी उसके हाथ में तो उसे कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा क्योंकि 1.5 लाख रुपए तक आमदनी पर कोई कर नहीं बनता।

 

दूसरे फायदे भी

पूर्वजों की वसीयत या फिर सदस्यों की भागीदारी से मिली कुछ संपत्ति के साथ एक बार एचयूएफ बन जाए, उसके बाद कर्ज लेकर और कारोबार के लिए जायदाद का इस्तेमाल कर उसकी संपत्ति का आधार बढ़ाया जा सकता है। एचयूएफ की कमाई में शामिल आमदनी पर केवल उसी के आधार पर टैक्स लगेगा और उसे किसी व्यक्ति विशेष की आय से जोड़कर नहीं देखा जाएगा। 


अगर कारोबार नाकाम होता है तो भी देनदारी सदस्यों की नहीं बनेगी। अर्न्स्ट एंड यंग में पार्टनर सोनू अय्यर के अनुसार एचयूएफ की देनदारी उसकी संपत्तियों तक सीमित है। इसलिए व्यक्तिगत क्षमता पर किसी भी सदस्य पर कोई देनदारी नहीं बनेगी।

 

याद रखिए

एचयूएफ का गठन पूरे परिवार की बेहतरी के लिए किया जाता है और इसलिए किसी भी कारोबारी फैसले पर सभी सदस्यों की राय शामिल होना जरूरी है। हर व्यक्ति को एचयूएफ की लंबी अवधि की संभावनाओं पर गौर करना चाहिए। 


आईट्रस्ट फाइनेंशियल एडवाइजर्स के को-फाउंडर धुव अग्रवाल ने कहा कि एचयूएफ कर छूट का फायदा देता है लेकिन आपको यह याद रखना चाहिए कि एचयूएफ के पूरी तरह विभाजित होने तक परिवार की आमदनी को एचयूएफ की आय के तौर पर आंका जाएगा। इसके अलावा हर सदस्य एचयूएफ की संपत्ति का मालिक होता है, ऐसे में उन्हें व्यक्तिगत हितों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

 

Save Tax Without any Investment : बिना इनवेस्टमेंट कैसे बचाएं टैक्स

फिलहाल टैक्स बचाने की योजनाओं का सीजन है। इन दिनों ज्यादातर लोग अंतिम क्षणों में निवेश के कुछ विकल्पों में पैसा डालकर टैक्स बचाने की जुगत में लगे हैं। लेकिन कुछ लोगों के लिए ऑप्शन का चुनाव कोई परेशानी नहीं है। उनके लिए टैक्स के बारे में चिंतित होने से ज्यादा बड़ी चुनौती है कर बचाने वाले प्रोडक्ट के लिए पैसे का जुगाड़ करना।


अगर आप भी ऐसे लोगों की फेहरिस्त में हैं तो कुछ मदद यहां से ले सकते हैं। मौजूदा कारोबारी साल के दौरान आपने जो खर्चे किए हैं, आपको उन पर भी टैक्स छूट मिल सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि आपको पूरे एक लाख रुपए बचाने के लिए निवेश करना पड़े।

 

ट्यूशन फीस से बचाइए टैक्स

स्कूल फीस एक ऐसा खर्च है, जिसे आय कर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत छूट के दायरे में रखा गया है। हालांकि, कर बचाने के नजरिए से स्कूल फीस, ट्यूशन फीस तक सीमित है। मसलन, हो सकता है कि आप बच्चे की स्कूल फीस के तौर पर 50,000 रुपए चुकाते हों लेकिन उसमें केवल 25,000 रुपए ही ट्यूशन फीस हो।


ऐसे मामले में आय कर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत केवल 25,000 रुपए पर ही टैक्स बचेगा। अभिभावकों के लिए अच्छी खबर यह है कि ऐसी कर छूट दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर मिल सकती है और ऊपरी लिमिट 1 लाख रुपए तक है, जो पहले केवल 24,000 तक सीमित थी।

 

मेडिकल खर्च पर टैक्स सेविंग

हर कर्मचारी 15,000 रुपए सालाना मेडिकल रिम्बर्समेंट के तौर पर लेने का हकदार है और इस तरह यह रकम कर के दायरे में नहीं आती। इसके अलावा यह मंजूरी मेडिकल इंश्योरेंस स्कीम के तहत हॉस्पिटलाइजेशन सुविधा से अलग है। इसलिए टैक्स प्लानिंग के इन अंतिम दिनों में आपको अप्रैल 2008 के बाद के मेडिकल बिल खोज निकालने हैं और उन्हें अपनी कंपनी को सौंपना है।


ऐसा करने पर आपकी कर देनदारी बढ़ जाएगी क्योंकि नियोक्ता इस रकम को एलाउंस के तौर पर देगा। एक तरफ, अगर आपने पहले ही यह खर्च किया है तो यह कंपनी से रकम हासिल करने का जरिया होगा और साथ ही टैक्स बचाने में भी काम आएगा।

 

टैक्स सेविंग: लीव ट्रैवल एक्सपेंडिचर

मौजूदा कारोबारी साल में सैर-सपाटा भले ही आपके बैंक बैलेंस को कुछ कम कर दे, लेकिन साथ ही आपकी कर चुकाने से जुड़ी कुछ चिंता भी दूर कर देगी। इन पर होने वाला खर्च लीव ट्रैवल एलाउंस (एलटीए) के तहत आएगा और दो साल में एक बार या चार साल के ब्लॉक में दो बार आप इसका फायदा उठा सकते हैं।


इसलिए अगर आप पिछले साल सालाना घूमने का ब्योरा मुहैया कराना भूल गए थे तो मौजूदा साल में ऐसा कीजिए और टैक्स बचाइए। निश्चित रूप से ऐसे खर्च के लिए आपको नियोक्ता कंपनी को वास्तविक बिल सौंपने होंगे।


इन खर्च से आप बिना नया निवेश किए कुछ टैक्स बचाने में कामयाब हो सकते हैं लेकिन साल चतुराई दिखाइए और अपनी आमदनी की योजना बेहतर तरीके से तैयार कीजिए। मसलन, अपनी एलटीए पर निगाह रखिए और नियमित अंतराल पर मेडिकल बिल क्लेम कीजिए ताकि वित्त वर्ष के अंतिम दिनों में आपको कर बचाने की मुश्किलों से जूझना पड़े।