Wednesday, February 4, 2009

Credit Card - Profits & Losses : क्रेडिट कार्ड: क्या फायदे और क्या नुकसान


कंपनियां आमतौर पर तीन तरह के कार्ड मुहैया कराती हैं - वीजा, मास्टर और एमैक्स। इन तीन कटिगरी में भी गोल्ड, सिल्वर और क्लासिक/इग्जेक्युटिव तीन सब-कटिगरी होती हैं। इन तीनों में मिलनेवाली सुविधाएं अलग-अलग होती हैं। 


आमतौर पर गोल्ड कार्ड में सबसे ज्यादा इन्शुअरन्स कवर, बैगेज कवर, डिस्काउंट, रिवॉर्ड पॉइंट और दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं। इस पर ब्याज भी सबसे कम वसूला जाता है, लेकिन इसकी फीस सर्विस चार्ज सबसे ज्यादा होते हैं। कार्ड जारी करने के लिए यों तो कोई खास नियम नहीं हैं लेकिन साधारण कार्ड आमतौर पर उन लोगों के जारी किए जाते हैं, जिनकी सालाना कमाई कम-से-कम 70 हजार रुपये हो, जबकि गोल्ड कार्ड के लिए सालाना कमाई 1.80 लाख रुपये होनी चाहिए। 


क्रेडिट कार्ड के क्या हैं फायदे 


हमेशा अपने साथ कैश लेकर चलना सुविधाजनक नहीं है। ऐसे में क्रेडिट कार्ड सहूलियत भरी शॉपिंग कराता है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने कस्टमर्स को एक निश्चित अवधि के लिए फ्री क्रेडिट पीरिअड की सुविधा देती हैं। यह अवधि स्टेटमंट डेट से लेकर पेमंट डेट तक की होती है। आमतौर पर यह 20 दिन का वक्त होता है। इस अवधि में कोई ब्याज नहीं लगता। 


आप क्रेडिट लिमिट के अंदर चेक जारी कर सकते हैं और फोन पर ही ड्राफ्ट का ऑर्डर भी दे सकते हैं। ग्लोबल कार्ड के जरिए आप दूसरे देश में खरीदारी कर रुपये में भुगतान कर सकते हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां दुकानों, होटेलों और एयर टिकिट आदि पर डिस्काउंट ऑफर करती हैं। 


पर्सनल एक्सिडंट कवर और बैगेज कवर आदि की सुविधा भी दी जाती है। बैगेज कवर ज्यादातर गोल्ड इंटरनैशनल क्रेडिट कार्ड पर ही दिया जाता है।कई कंपनियां परचेज प्रॉटेक्शन भी देती हैं। ऐसे में कार्ड से खरीदी गई चीजों के खोने, चोरी होने या आग आदि से नष्ट हो जाने पर आपको उसका बिल नहीं भरना पड़ेगा। 


क्रेडिट शील्ड होना भी फायदेमंद है। अगर कार्ड होल्डर की मौत हो जाए और उसके कार्ड पर यह सुविधा है तो उत्तराधिकारी को बिल में कुछ छूट मिल जाती है। कार्ड कंपनियां शॉपिंग पर रिवॉर्ड पॉइंट्स भी देती हैं। 


क्या हैं नुकसान 

क्रेडिट कार्ड कई बार फिजूल की शॉपिंग की वजह बनता है। खासकर ऐसे लोग कार्ड की बदौलत ज्यादा शॉपिंग कर लेते हैं, जिन्हें शॉपिंग की लत होती है। फ्री क्रेडिट पीरिअड के बाद लगने वाला ब्याज काफी ज्यादा होता है। कार्ड इश्यू करने के लिए कंपनियां आमतौर पर फीस लेती हैं, जो सालाना 400 रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक हो सकती है। कार्ड बनवाने के लिए भी कई मामलों में सौ से लेकर एक हजार रुपये तक फीस होती है। 


कई बार क्रेडिट कार्ड चोरी हो जाता है या खो जाता है। ऐसे में उसके मिसयूज का डर होता है। इससे बचने के लिए सबसे पहले कस्टमर केयर को फोन करें और अपना कार्ड तुरंत बंद करा दें। इसके लिए एफआईआर या किसी और डॉक्युमंट की जरूरत नहीं होती। लेकिन अगर चोरी के बाद कार्ड से शॉपिंग की गई है या कोई और फ्रॉड किया गया है तो बैंक एफआईआर की कॉपी मांगता है। कार्ड खो जाने या चोरी हो जाने की सूचना देने के बाद लायबिलिटी फीस की एक अधिकतम सीमा निर्धारित है। ज्यादातर बैंकों के मामले में यह सीमा एक हजार रुपये है। लेकिन कार्ड खोने की रिपॉर्ट करने से पहले इसकी कोई सीमा नहीं है। यानी रिपॉर्ट किए जाने के वक्त तक चुराए गए या खोए हुए कार्ड से जो भी शॉपिंग की जाएगी, उसका भुगतान कार्ड होल्डर को करना होगा। 


कार्ड कंपनियां आमतौर पर उस लायबिलिटी का जिक्र करती हैं, जो रिपॉर्ट करने के बाद होती है। रिपोर्ट करने से पहले की असीमित फीस को छिपा लिया जाता है।