Monday, January 26, 2009

फ्लैट के लिए लोन: पीईएमआई बेहतर विकल्प

आईटी कंपनी में काम करने वाले 32 वर्षीय गौतम पिछले कुछ समय से अपना घर खरीदने के बारे में सोच रहे थे। उन्होंने हाल ही में दो फ्लैट शॉर्टलिस्ट किए। इनमें से एक पूरी तरह तैयार था और दूसरे का अभी निर्माण शुरू नहीं हुआ था और वह कंस्ट्रक्शन-लिंक्ड पेमेंट के साथ मिल रहा था। गौतम इस बात को लेकर दुविधा में थे कि इनमें से कौन सा फ्लैट उनके लिए बेहतर रहेगा। 

अगर वह तैयार फ्लैट को चुनते हैं तो उन्हें तुरंत ईएमआई का भुगतान शुरू करना होगा, जिसके लिए वह वित्तीय तौर पर तैयार नहीं थे। उन्हें निर्माणाधीन फ्लैट ज्यादा बेहतर लगा। इसके साथ ही उन्हें इसके लिए प्री-ईएमआई (पीईएमआई) कॉन्सेप्ट की जानकारी मिली। इसमें उन्हें निर्माण से जुड़ा भुगतान करना था और उनका होम लोन भी इसी पर आधारित था। 

गौतम को ईएमआई का भुगतान पूरा लोन मिलने के बाद ही शुरू करना था। बीच की अवधि के लिए उन्हें केवल ब्याज चुकाना था। गौतम के फ्लैट की कीमत 40 लाख रुपए थी और उन्होंने 6 लाख रुपए का भुगतान अपनी बचत से कर बाकी के 34 लाख रुपए का होम लोन लिया। 

इसके साथ एक फायदा यह भी था कि बिल्डर को भी निर्माण के आगे बढ़ने के साथ भुगतान मिलने की वजह से उन्हें समय पर फ्लैट मिलने की उम्मीद थी। पीईएमआई उन लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प है, जो फिलहाल हर महीने बड़ी रकम किस्त के तौर पर नहीं दे सकते। हालांकि, उन्हें बाद में अपनी वित्तीय हालत में सुधार होने की उम्मीद होती है। 

पीईएमआई के फायदे: इसमें लोन की कुल राशि का भुगतान निर्माण के हिसाब से किया जाता है। इस तरह की योजना में घर खरीदने वाले को निर्माण पूरा होने पर ही भुगतान करना होता है। इसके साथ ही बिल्डर पर भी समय पर फ्लैट पर कब्जा देने का दबाव रहता है। खरीदार यह जांच सकता है कि बिल्डर अपने वायदे के अनुसार काम कर रहा है या नहीं। 

कर्जदार को लोन की पूरी राशि के भुगतान से पहले केवल उस रकम पर ब्याज चुकाना होता है, जो उसे कई चरणों में दी गई है। जिन लोगों की वित्तीय स्थिति अभी ज्यादा अच्छी नहीं है और भविष्य में इसके सुधरने के आसार हैं तो वह इस तरीके से अपने घर के ख्वाब को हकीकत में बदल सकते हैं। 

पीईएमआई के नुकसान: गौतम के मामले में उन्हें 24 महीने के लिए ब्याज का भुगतान करना होगा और यह राशि लगभग 3.60 लाख रुपए (ब्याज दर 10 फीसदी और कंस्ट्रक्शन के आधार पर लोन की राशि के अनुसार) बैठेगी। यह उनका अतिरिक्त भार होगा क्योंकि ईएमआई का भुगतान दो वर्ष के बाद ही शुरू होगा। जो लोग किराए के मकान में रह रहे हैं, उनके लिए यह दोगुना भार होगा। 

आयकर के लाभ के हिसाब से भी पीईएमआई अच्छा विकल्प नहीं है। आयकर कानून के अनुसार जब तक मकान का कब्जा नहीं मिलता तब तक कर छूट का दावा नहीं किया जा सकता। कंस्ट्रक्शन आधारित भुगतान में निर्माण के अनुसार भुगतान करने का फायदा मिलता है। लेकिन अगर भुगतान समय से जुड़ा है तो आपको मुश्किल आ सकती है।

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