क्या आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो दिखावा तो खूब करते हैं लेकिन अपनी जरूरतों और प्राथमिकता को तरजीह नहीं देते। भले इंश्योरेंस प्लान का चुनाव करने जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा ही सामने क्यों न हो। आप अभी अपने परिवार की हर जरूरत पूरी कर रहे हैं, लेकिन अगर दुर्घटनावश आपकी मृत्यु हो जाती है तो यह जिम्मेदारी कौन उठाएगा।
दरअसल, एक बेहतर इंश्योरेंस पॉलिसी आपकी इन दिक्कतों को दूर कर सकती है। हालांकि चतुरता से इंश्योरेंस प्लान चुनने के लिए आपको पॉलिसी के फाइन पिंट पर गौर करना होता है और उसे अपनी जरूरतों की कसौटी पर आंकने की जरूरत होती है। बाजार में कितनी तरह की टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध हैं और उन्हें कैसे खरीदा जाए, जानकारी रहा है ईटी
लेवल टर्म प्लान
बुनियादी रूप से टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी, प्लान की अवधि के दौरान मृत्यु होने की सूरत में परिवार को बीमा की रकम मुहैया कराती है। इसे आकस्मिक घटनाओं के खिलाफ सुरक्षा का मजबूत हथियार माना जाता है।
इस बात पर गौर करना महत्वपूर्ण है कि अगर पॉलिसी की मैच्योरिटी पर बीमा पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति जीवित है तो परिवार को बीमा कंपनी की ओर से कोई राशि नहीं सौंपी जाएगी। इस पॉलिसी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बड़ी रकम को लेकर व्यक्ति विशेष को बीमा कवर दिया जाता है, वहीं ऐसी पॉलिसी के लिए प्रीमियम काफी कम अदा करना होता है। ज्यादातर बीमा कंपनियां टर्म पॉलिसी उपलब्ध कराती हैं।
इंक्रीजिंग टर्म प्लान
वक्त बदलने के साथ-साथ अलग-अलग कंपनियों की ओर से पेश किए जाने वाले टर्म प्लान में भी बदलाव आया है और लोगों की हमेशा बढ़ती रहने वाली जरूरतों को पूरा करने वाला एक उत्पाद है इंक्रीजिंग टर्म प्लान।
एगॉन रेलिगेयर लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव जामखेड़कर ने कहा, 'इसका लक्ष्य ऐसे ग्राहक हैं, जिनकी आमदनी और जीवनशैली बदलती रहती है, जिससे खर्च में लगातार इजाफा होता रहता है। एगॉन रेलिगेयर इंक्रीजिंग टर्म प्लान बीमित राशि में हर साल 5 फीसदी का इजाफा संभव बनाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ग्राहक के पास हमेशा पर्याप्त बीमा कवर हो।'
यह स्पष्ट करना जरूरी है कि हर साल 5 फीसदी की बढ़ोतरी का आकलन शुरुआती बीमित राशि के आधार पर किया जाता है, जिसे बेस भी कहा जाता है। इस तरह आपको कुल इंश्योर्ड राशि बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही, जिस प्रीमियम का भुगतान किया जाना है, उसमें कोई इजाफा नहीं होता और उम्र बढ़ने पर दूसरी पॉलिसी के साथ जुड़े चिकित्सा जांच और जटिलता की सिरदर्दी भी सामने नहीं आती।
एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस एक और विकल्प देती है जिसके तहत बीमित राशि हर पांच साल में 50 फीसदी बढ़ती है जबकि प्रीमियम में कोई बदलाव नहीं आता।'
डीक्रीजिंग टर्म प्लान
बीमा कंपनियों ने यह भी महसूस किया कि उनके कुछ ऐसे ग्राहक भी हैं, जिन पर किसी खास वक्त मॉर्गिज और दूसरे लोन का बोझ होता है। हालांकि, वक्त के साथ यह कम होता जाता है। इसे दिमाग में रखते हुए एलआईसी और एगॉन रेलिगेयर जैसी कंपनियों ने डीक्रीजिंग टर्म प्लान पेश किए हैं, जिसमें बीमित राशि में हर साल 5 फीसदी कमी होती है और इस तरह प्रीमियम भी काफी कम अदा करना होता है।
कुछ मामलों में उम्र को लेकर सीमा तय कर दी जाती है और अगर आपकी आयु उससे कम है तो ही आप ऐसा प्लान ले सकते हैं। अधेड़ लोगों के लिए इस प्लान की सिफारिश की जाती है और उन मामलों में जहां देनदारियों का भुगतान परिवार के दूसरे सदस्यों के लिए आगे मुश्किल बन सकता है।
आंशिक रिफंड प्लान
बाजार में एक और तरह की टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध है जो प्रीमियम के आंशिक रिफंड का इंतजाम करती है। आईएनजी वैश्य लाइफ इंश्योरेंस में निदेशक-मार्केटिंग अमित गुप्ता ने बताया, 'आईएनजी टर्म लाइफ प्लस में प्रीमियम लौटाने की सुविधा मिलती है। इसमें पॉलिसी टर्म का आधा वक्त बीत जाने और शेष मैच्योरिटी पर पॉलिसी टर्म खत्म होने पर मिलता है।'
इसी तरह एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की ओर से पेश स्वधन पॉलिसी में अगर कोई व्यक्ति टर्म बीत जाने के बाद तक जीवित रहता है तो उसे प्रीमियम लौटा दिया जाता है। हालांकि यह रिफंड पॉलिसी की टर्म और चुकाए गए प्रीमियम का 50 से 90 फीसदी के बीच हो सकता है।
इनोवेटिव प्लान
टर्म इंश्योरेंस स्पेस में एक और इनोवेशन यह है कि वह सीमित अवधि के लिए उपलब्ध होती है। मसलन, एलआईजी एक ऐसी पॉलिसी मुहैया कराता है, जिसमें व्यक्ति विशेष दो साल के लिए अपना बीमा करा सकता है। कुछ कंपनियां कम पैसा रखने वाले ग्राहकों को टर्म प्लान शुरू करने का मौका देती हैं और बाद में जब उनके हाथ में ज्यादा रकम आ जाती है तो उसे एंडॉमेंट या लिमिटेड पेमेंट होल-लाइफ पॉलिसी जैसे ज्यादा आधुनिक उत्पाद में बदल दिया जाता है।
मत भूलिए
पॉलिसी खरीदते वक्त बीमा के तहत आने वाली राशि और पॉलिसी की मियाद को दिमाग में रखना चाहिए। इन चीजों पर गौर करते हुए आप अलग-अलग कंपनियों की ओर से पेश किए जाने वाले टर्म प्लान पर प्रीमियम की तुलना कर सकते हैं और यह फैसला कर सकते हैं कि आपको कितनी रकम अलग रखनी होगी।
कम उम्र में पॉलिसी शुरू करने से आपको कम प्रीमियम में बढि़या प्लान की सौगात मिल सकती है। जामखेड़कर के मुताबिक, 'नियमित आमदनी वाले 25-45 उम्र के सभी लोगों को ये प्लान लेने चाहिए।' यह जानकारी होनी भी जरूरी है कि सिंगल और मल्टी-प्रीमियम पॉलिसी के अलावा कुछ कंपनियां हैं जो आपको सीमित प्रीमियम भुगतान का विकल्प देती हैं।
टर्मिनोलॉजी
बड़ी रकम का बीमा कवर जिसमें कम प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
हर साल या पांच साल में एक बार तय रकम से आपकी बीमित राशि में इजाफा होता है जिससे बढ़ती जरूरतों से निपटा जा सकता है।
इस प्लान में बीमित राशि टर्म के साथ घटती जाती है क्योंकि लोन और मॉर्गिज वक्त के साथ कम होते हैं।
इसमें आपको पॉलिसी के बीच में या मैच्योरिटी पर प्रीमियम का रिफंड मिलता है।
लिमिटेड टर्म प्लान
ऐसी स्कीम उन लोगों के लिए है जो किसी खास वक्त के लिए बीमा कराना चाहते हैं।
कन्वर्टिबल टर्म प्लान
इसमें आप कम प्रीमियम वाले टर्म प्लान से शुरुआत करते हैं और आगे चलकर दूसरी पॉलिसियों का रुख करते हैं।
No comments:
Post a Comment