आमतौर पर लोग टैक्स की दर गलत कैलकुलेट कर देते हैं या कई बार खुद को गलत स्लैब में रखकर टैक्स छूट क्लेम कर देते हैं।
सरचार्ज या एजुकेशन सेस को लेकर खूब गलतियां होती हैं। इन दोनों को टैक्स पूरा कैलकुलेट होने के बाद लगाया जाता है। कई बार लोग या तो इसे लगाना भूल जाते हैं या पूरा नहीं लगाते।
इसके लिए ई-फाइलिंग करें। ई-फाइलिंग करने से टैक्स खुद-ब-खुद सामने आ जाता है।
आमतौर पर लोग साल के आखिर में टैक्स सेविंग स्कीमों में इन्वेस्ट करते हैं। हड़बड़ाहट में और दोस्तों की देखादेखी इस तरह इन्वेस्ट न करें। अपनी जरूरतें देखें और इनवेस्टमेंट करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह लें।
अपने भविष्य और फाइनेंशल जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सही स्कीम का चयन करना चाहिए। साल के आखिर में एकमुश्त बड़ी रकम के इन्वेस्टमेंट से पैसे की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है इसलिए साल भर थोड़ा-थोड़ा इन्वेस्टमेंट करते रहें।
कई बार लोग लोन लेकर इन्वेस्टमेंट कर देते हैं। यह गलत है। इन्वेस्टमेंट हमेशा इनकम में से करना चाहिए। लोन अकाउंट से इन्वेस्ट करने पर छूट नहीं मिलेगी।
लोगों को गलतफहमी होती है कि अगर पीएफ कट रहा है तो पीपीएफ नहीं कटा सकते। साथ ही दोनों को मिलाकर 70 हजार से ज्यादा जमा नहीं करा सकते। ऐसा नहीं है। पीएफ और पीपीएफ, दोनों को मिलाकर एक लाख रुपये तक जमा कराए जा सकते हैं।
एक्सर्पट्स की सलाह
80-सी के तहत एक लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट जरूर करना चाहिए। जायज तरीके से टैक्स बचाने में कोई बुराई नहीं है।
इन्शुअरन्स और इन्वेस्टमेंट में फर्क समझें। ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं, इसलिए दोनों के लिए अलग-अलग रकम रखें।
प्रफेशनल की मदद से अपने नॉन-वर्किन्ग जीवनसाथी की इनकम टैक्स फाइल तैयार कराकर भी आप टैक्स में छूट पा सकते हैं। इसमें संबंधियों द्वारा दिए जानेवाले गिफ्ट, ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी, लोन आदि दिखा सकते हैं। ऐसा करके आपकी इनकम पर दो लोगों के बराबर टैक्स में छूट मिल सकती है।
पुश्तैनी प्रॉपर्टी या संबंधियों की ओर से गिफ्ट के रूप में मिली रकम से हिंदू अविभाजित परिवार यानी हिंदू अनडिवाडेड फैमिली (एचयूएफ) तैयार कराया जा सकता है। आपकी जो इनकम है, आप उसे अपने और एचयूएफ के बीच बांट सकते हैं। ऐसे में आपको भी टैक्स सेविंग के पूरे फायदे मिलेंगे और एचयूएफ को भी। एचयूएफ के नाम से आपको बैंक अकाउंट खोलना होगा और पैन कार्ड तैयार कराना होगा। इसके बाद आप एचयूएफ के नाम से ही सभी ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। एचयूएफ के मामले में किसी प्रफेशनल या टैक्स एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें।
रकम को अलग-अलग बास्केट में इन्वेस्ट करना बेहतर होता है। मसलन कुछ रकम रिस्क वाली स्कीमों में लगा सकते हैं तो कुछ फिक्स्ड रिटर्न देने वाली स्कीमों में। इससे सुरक्षा और फायदा दोनों मिलेंगे। आपकी कुछ रकम पूरी तरह सुरक्षित रहेगी, तो कुछ पर बड़ा फायदा होने की संभावना भी बनी रहेगी। कुछ रकम को पांच साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट कराया जा सकता है, तो कुछ का निवेश इक्विटी लिंक्ड म्यूचुअल फंड्स में किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए अगर एक लाख रुपये इन्वेस्ट करने हैं तो बेहतर है कि इक्विटी लिंक्ड म्यूचुअल फंड में 30 हजार, पीपीएफ में 30 हजार और इन्शुअरन्स स्कीम में 30 हजार रुपये इन्वेस्ट करें। तीनों के अलग-अलग फायदे हैं।
मसलन, म्यूचुअल फंड में ग्रोथ अच्छी मिल सकती है तो पीपीएफ में 8 फीसदी ब्याज मिलने के साथ-साथ रकम सेफ भी रहती है। इन्शुअरन्स कराना इसलिए अच्छा है क्योंकि इसमें रिस्क कवर होता है।
इन दिनों होम लोन भी सस्ते हो गए हैं। इससे टैक्स की बचत भी होती है। अगर आप होम लोन ले लें तो डेढ़ लाख रुपये तक साल भर के ब्याज को टैक्सेबल इनकम में से घटा सकते हैं यानी इस तरह आपको कम टैक्स देना पड़ेगा।
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