आयकर कानून में मकान किराया भत्ता (एचआरए) के लिए कटौती की अनुमति दी जाती है। अधिकतर कंपनियां अपने कर्मचारियों को किराए पर मकान लेने के खर्च की भरपाई के लिए एचआरए का भुगतान करती हैं। यह वेतन का एक हिस्सा होता है।
एचआरए पर कर छूट आयकर कानून की धारा 10 (13ए) और आयकर नियमों की नियम संख्या २ए के तहत मिलती है। यह याद रखना जरूरी है कि एचआरए की पूरी राशि की कटौती नहीं होती। यह एक भत्ता है और इसके लिए आयकर देना होता है। एक कर्मचारी तभी छूट का दावा कर सकता है, जब वह किराए के मकान में रहता है।
कटौती के लिए कर्मचारी को मकान के किराए का वास्तविक भुगतान करना होता है। अगर वह अपने घर में रहता है तो उसे कोई टैक्स छूट नहीं मिलती और पूरी राशि पर आयकर चुकाना होता है। अगर मकान के किराए का कर्मचारी भुगतान नहीं करता तो उसे कटौती नहीं मिलेगी।
आयकर कानून के मुताबिक एचआरए पर छूट इनमें से सबसे कम राशि पर मिलती है:
कर्मचारी को उस अवधि के लिए मिली वास्तविक एचआरए राशि जिसमें वह पिछले वित्त वर्ष में किराए के मकान में रहा था।
वह राशि जो कर्मचारी ने घर के किराए पर खर्च की हो और जो संबंधित अवधि में उसके वेतन के दसवें हिस्से से अधिक हो।
अगर घर मुंबई, कोलकाता या दिल्ली में हैं तो संबंधित अवधि में वेतन का 50 फीसदी। अन्य शहरों के लिए यह वेतन का 40 फीसदी है।
वेतन में मूल वेतन के साथ ही निम्न भी शामिल होते हैं:
महंगाई भत्ता, अगर उसे नौकरी की शर्तों के अनुसार मिलता है।
कर्मचारी ने जो टर्नओवर का निश्चित फीसदी हासिल किया है, उस पर कमीशन।
कर कटौती उसी अवधि के लिए मिलेगी जिसमें कर्मचारी किराए के मकान में रहा हो। इसके बाद ही अवधि के लिए यह उपलब्ध नहीं होगी।
No comments:
Post a Comment